अनोखी दुनिया

इस अनोखी दुनिया में सब से मिलता हूँ उन की बातें सुनता हूँ ,लोग अच्छे लगते है. ये लोग तो धरती पे रह कर भी चाँद पे पहुच जाते है
मै तो चुपचाप सुनता रहता हूँ, सब को देखता हूँ अच्छा लगता है
मै कहाँ साधारण सा इन्सान जो कभी इस अनोखी दुनिया में खुद को कभी ढूंढ भी पाएगा या नहीं, पर खुश हूँ अपनी दुनिया में जहाँ न दिखावा है न चाँद पे जाने की बातें, मुझे तो इसी दुनिया में रहना है जहाँ सुकून है न की अनोखी दुनिया की तरह जहाँ सूरज की रौशनी में भी खुद को ढूँढना पड़ता है

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