सच एक छोटी सी लाइन में निकल ही जाता हैं।

कुछ दिन पहले एक नेता जी के यहाँ गया था उन्होंने बुलाया था की आओ काफी टाइम हुआ मिले हुए डिनर करते हैं साथ में। मैं भी ऑफिस से निकला और चला गया उनके यहाँ घर पास में ही था, असल में वो नेता थे नहीं लेकिन पैसा पावर आ गया तो सोचे क्यों न इलेक्शन लड़ लिया जाये, दिल्ली में उनका अच्छा खासा बिज़नेस हैं कभी कभी अपने घर चले जाया करते हैं। जब उनके घर गया तो उन्होंने अपनी टीम से मिलवाया जो टीम उनके लिए प्रचार प्रसार का काम संभाल रही थी और उस टीम में से कोई भी व्यक्ति न वहाँ का रहने वाला था जहा से नेता जी चुनाव लड़ रहे थे न उस स्टेट का था और सब की बातें हवा में थी। हाँ नेता जी ने कुछ अच्छा काम करना शुरू किया था वहाँ बच्चो के लिए जो मुझे अच्छा लगा था और जितनी सोच उन्होंने बताई थी उस से मैं काफी प्रभावित था की ये अच्छा कर रहे हैं। थोड़ी बात और बढ़ी और नेता जी ने जीतने के बाद उनको क्या क्या बदलाव अपने छेत्र में करना था वो सारी बातें उन्होंने सुनाई। धीरे धीरे सभी चले गए वहाँ से, मैं और नेता जी बात करने में लगे थे मैंने कहा आप अच्छा कर रहे हैं आपकी सोच काफी अच्छी हैं फिर मैं चलने लगा तभी नेता जी ने कहा तुम्हे एक चीज दिखता हूँ रुको, फिर वो अपने रूम में गए और एक पन्ना लेते आये और मुझे दिखाते हुए कहा " देखो कितने गरीब लोगो का कॉल आता हैं दिन भर अब क्या करू इलेक्शन तक तो इनको झेलना ही पड़ेगा " मैं सुन के चुप था रास्ते भर यही सोच रहा था चाहे आप कितना भी झूठ बोल लो लकिन सच एक छोटी सी लाइन में निकल ही जाता हैं।

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