चलता हूँ तो दुनिया अपनी लगती है , वो सारे लोग अपने लगते है
जो इस दौरती भागती दुनिया में कही खो से गए है खो तो मै भी गया हूँ
पर मन लगा लिया है इस खोई सी दुनिया में.
रुकता हूँ तो डर सा जाता हूँ न पीछे कोई दीखता है न साथ
खुश रहता हूँ तो बस अपने उस सपनो के साथ जिसके कारन मै जिन्दा हूँ .
सब को कहना बहुत अच्छा हूँ और खुद से ये पूछना की मै कैसा हूँ ?
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