बहुत कुछ बिखरा पड़ा है




मै अपने सामान समेट रहा हूँ
बहुत कुछ बिखरा पड़ा है
गलती मेरी है मैं ये भूल गया
था की मै अकेले रहता हूँ
खिड़कियाँ हमेशा बंद रहती
थी उसे भी खुला छोड़ दिया था
मैंने, कोई आता नहीं था यहाँ
बस कुछ दोस्त थे वो भी बचपन के
एक अनजान दोस्त ने
याद दिलाया भाई साहब खिड़की
दरवाजे बंद रखिये शयद
आप को याद नहीं आप हमेशा
अकेले ही रहते है ...

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