आज का दिन :

आज का दिन :
सुबह उठा तो टीवी चल रहा था रात में देखते देखते सो गया था, लैपटॉप भी ऑन था आज शनिवार है तो ऑफिस नहीं जाना था पर सोच रहा था करूँगा क्या घर में, 
घर तो मेरा जेल लगता है ज्यादा देर रहता हूँ यहाँ अकेले तो मुझे मेरा घर याद आने लगता है 
याद आने लगती है माँ मेरी और पापा जो सुबह सुबह उठाते थे और बोलते थे कितना सोते हो उठ के घुमो या कुछ पढो. यहाँ तो मै खुद पापा हूँ और माँ, यहाँ आने के बाद बहुत क
ुछ बदल गया है और अब घर याद आता है कभी कभी याद आता है वो मोहल्ला अपना जहा चाचा भैया पंडित जी की दुकान और जहा से हम कॉमिक्स लाया करते थे पढने के लिए, यहाँ तो मेरे घर के बगल वाला मुझे नहीं जानता की मै कौन हूँ या मै क्या करता हूँ जब की मुझे इस घर में रहते हुए ७ साल हो गए. इस सहर ने मुझे ही नहीं मेरे जैसे बहुत लोगो को मशीन बना दिया है facebook पे कभी कभी मोहल्ले के कुछ दोस्त या भाई से बात हो जाती है तो अच्छा लगता है दस साल हो गए यहाँ पर आज भी अपना घर याद आता है वो दोस्त याद आते है और याद आता है अपना वो स्कूल जहा प्रार्थना होती थी की India Is My Country And All Indians Are My Brothers And Sisters.

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