मै जब घर से ऑफिस के लिए निकलता हूँ तो मेट्रो में बैठा कुछ न कुछ लिखता रहता हूँ या फिर किसी से चैटिंग चलती रहती है और कुछ लोगो की आदत होती है बगल वाले के मोबाइल में झाकते रहने की, आज ऐसा ही हुआ मेरे बगल में बैठे क सज्जन बार बार मेरे मोबाइल में झांक रहे थे मैंने एक दो बार उन्हें देखा फिर भी उनकी आदत सुधरी नहीं, फिर मैंने लिखना शुरू किया अपने मोबाइल में की " कुछ लोग आदत से मजबूर होते है और दुसरो के मोबाइल में झांकते रहते है " और भाई साहब पढ़ रहे थे की मै क्या लिख रहा हूँ जैसे उन्होंने पढ़ा वो खिसक लिए थोरा दूर और जब मैंने उन्हें देखा तो चेहरा जैसे शर्म के मारे लाल हो रहा हो और वो उतर गए मेट्रो से ही।
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