ये साल मेरा कुछ ऐसा गया ।

ये साल मेरा कुछ ऐसा गया ।
२०१२ मेरे लिए बहुत अच्छा गया और मैंने बहुत सारे सपने पुरे किये जिसमे  सबसे महत्वपूर्ण रहा मेरा रेडियो स्टेशन और मेरी डाक्यूमेंट्री इन सर्च ऑफ़ डेस्टिनी ।

रेडियो का प्रोसेस लगभग २०११ से चल रहा है सरकारी कम जैसे होता है वैसे ही मैंने रेडियो को भगवन भरोसे छोड़ दिया था की जब सर्कार का मन होगा लाइसेंस दे देगी मुझे और फाइनली २०१२ में ये पूरा हुआ । रेडियो मेरा बहुत बड़ा सपना है ।

फ्रेम्स (मेरी एन. जी. ओ )- फ्रेम्स का बहुत सारा कम २०१२ में शुरू हुआ ऑफिस खुले ,लोग जुड़े और बहुत सारे नए प्रोजेक्ट पे कम करने का हमने सोचा । एक दुखद घटना भी हुई की फ्रेम्स के एक मेम्बर की डेथ हो गई जिनकी कमी हमेशा रहेगी।

डाक्यूमेंट्री इन सर्च ऑफ़ डेस्टिनी - इस डाक्यूमेंट्री ने मुझे बहुत कुछ दिया है और बहुत कुछ सिखाया है समाज को बहुत नजदीक से जानने का मौका और ऐसे लोगो से मिलने का भी जिन्हें हम कभी देखना या मिलना नहीं चाहते  । नदी से सिक्का निकल के अपना जीवन बिताने वाले लोग जिनपे मैंने रिसर्च और फिल्म बनाई आज भी वो लोग मेरे लाइफ के बहुत महत्वपूर्ण लोग है जिनसे मैंने वडा किया है की जब भी उम्हे मेरी जरुरत पड़ेगी मई उनके साथ रहूँगा। खासकर बाबा और औगोस्तींन  । और वो दिन जब मेरे और फिल्म के बारे में पेपर और पत्रिका में छपता था तो सभी खुश होते थे ।

पीपल का पेड़ - हमारे घर के बहार एक बहुत ही पुराना पीपल का पेड़ था लगभग ३०० साल पुराना।
जब मै देहरादून में था तो सुबह सुबह कल आया रवि का की पेड़ गिर गया है और आश्चर्य की बात ये है की किसी को कुछ हुआ नहीं है. लेकिन आज भी ऐसा लगता है की मनो कोई अपना अब इस दुनिया में न हो और उसी पेड़ की जगह पे अब रेडियो का एंटीना लग्न का फैसला हुआ है ताकि यादें हमेशा साथ रहे ।

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