अंकल कूड़ा दे दो

पहले जिस फ्लैट में रहता था वहाँ कूड़ा उठाने वाला सिर्फ पैसे लेने के दिन दीखता था बाकि दिन उसके बच्चे कूड़ा उठाते थे कुछ दिन मैंने देखा फिर उसे अच्छे से समझाया की कल से ये दिखे तो तुम्हे उठा के थाने पंहुचा दूंगा और इन बच्चो को स्कूल भेजो। कूड़े वाले ने पुरे फ्लैट वालो को मेरी कहानी सुना दी की मैंने मारने की धमकी दी हैं मैं गरीब आदमी हूँ और गरीब पे अत्याचार हो रहा हैं।  मेरे फ्लैट के नीचे एक डॉक्टर साहेब थे वो आये और चौड़े हो के कहने लगे बेटा कूड़ा वाला अगर यहाँ से छोड़ देगा तो कचरा कौन उठाये गा ? और ये उनके बच्चे हैं तुम नए नए आये हो आराम से रहो तुम्हे क्या प्रॉब्लम हैं। मैंने सब सुनके कहा आप अपने बच्चे से फेकवाओ सीढ़ी पे पोछा लगवाओ .... वो तो लगवाओ गे नहीं और पैसे हम उस आदमी को देते हैं वो आराम से कोने में बैठ के बीड़ी पीता रहता हैं और बच्चे उस के झाड़ू पोछा लगते हैं अगर कल से किसी ने दिया उसे कूड़ा तो मैं पुलिस को बुला के अच्छे से समझा दूंगा। अंकल जी तो निकल लिए तुरंत। फिर वहाँ कूड़ा कुछ दिन लोगो ने खुद फेका और थोड़े टाइम बाद वो कूड़े वाला आने लगा। उस बिल्डिंग में तो कम फ्लैट थे तो सबको मैंने समझा दिया पर ये जो मेरा नया फ्लैट हैं इस में बहुत सारे फैमिली रहते हैं आज सुबह घंटी बजी तो एक सात आठ साल की बच्ची ने बोला अंकल कूड़ा दे दो मासूम सा चेहरा था और हाथ में झाड़ू थी।   

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