सपने थे मेरे

चल रहा था और सोच भी रहा था
ऐसा लग रहा था मनो कुछ छूट रहा हो रुक गया और देखता रहा पर दूर तक
दिखा कुछ नहीं पर महसूस हो रहा था मनो सब कुछ छीन रहा हो मुझसे नींद खुली तो लगा ये सपने थे मेरे और सिर्फ मेरे। 

Comments