क्या लिखू अपने बारे में

क्या लिखू अपने बारे में 
जो दीखता हूँ वही हूँ 
पर दिल हैं मेरे पास असली वाला 
दिमाग को अपने काम में इस्तेमाल करता हूँ 
कभी कभी बच्चा भी हूँ 
ज़िद करता हूँ पर अपने से ही तो
दोस्त... दोस्ती जल्दी नहीं होती किसी से
विचार मिले तो जान हाज़िर हैं
उलझने के लिए कुछ हैं नहीं
कहानी साफ और सीधी हैं
ज्यादा ताम झाम नहीं हैं
सब खुश हम खुश
सब भाग रहे हैं भीड़ में
मुझे उल्टा भागना हैं
अपने लिए क्या सोचना सब सोचते हैं
ज़िन्दगी है कभी दुसरो के लिए जियो तो मज़ा
जो साथ चले चलो जो न चले उसे झप्पी दो और बढ़ो
झूठ नहीं बोलता मैं क्यों की सच बोलने में मज़ा हैं
सब कहते हैं कम बोलता हूँ मैं
पर पहले सुनने की आदत हैं फिर बोलता हूँ मैं
प्यार से कोई पहाड़ से धकेल दे कोई गम नहीं
फेके मत बस वरना मिलूंगा भी नहीं
वादे .. यही हमेशा परेशान करते हैं
पर कोई गम नहीं बहुत समय है पुरे कर लूंगा।

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