बच्चा छुपा हैं अंदर

आज भी एक बच्चा छुपा हैं अंदर 
जो ज़िद में रोता हैं
जो ढूंढता हैं अपनी माँ को 
जो देखता हैं उम्मीद भरी नज़रो से 
जो ऊँगली पकड़ के चलना चाहता हैं। 

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