सबको सनमती दें भागवान!

 सबको सनमती दें भागवान! 
ये तो वोट बैंक की राजनीती हमे सीखा देती हैं ये उस धर्म का हैं ये उस जाती के हैं ये उनका आदमी हैं वो उनसे मिले हैं फलाना फलाना।  पर जब हम कभी बाजार जाते हैं तो सब्जी बेचने वाले से उस की जाती पूछ के सब्जी खरीदते हैं क्या बाल कटाने समय हम सोचते हैं ये तो उस पार्टी को वोट देगा क्या हमारे बच्चे जिस स्कूल में पढ़ते हैं उस में हम पता करने जाते हैं की कितने बच्चे किस किस जाती धर्म के हैं  क्या  हमारा पडोसी जब हमारे मुश्किल समय में रात बिरात काम आये तो हम सोचते हैं वो कौन जात हैं वो किसको वोट देता हैं बचपन का मेरा दोस्त जिसके साथ मैं बड़ा हुआ हूँ जिसके घर उठना बैठना खाना पीना  होता हैं क्या मैं सोचु की वो दूसरे धर्म का हैं। अगर हम अपनी रोज़ की ज़िन्दगी में ऐसा नहीं सोच सकते तो इलेक्शन आने के पहले क्यों सोचे क्यों हम दुसरो के बहकावे में आ कर दुसरो को बहकाये। ....रिश्तो को वोट जाती धर्म से मत जोड़िये। 
(ये पोस्ट रामबाबू भैया के वाल पे रणधीर सिंह की तरफ से ईद की बधाई वाले मैसेज में जो कमेंट आये हैं उनको पढ़ के लिखा हैं )   

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